सरपंच-सचिव का कारनामा...माल लेते व्यापारी से फर्जी बिल लगाकर निकाल लेते राशि,व्यापारीयो की राशि डकार गये जिम्मेदार,
माल दूसरे से लिया और बिल लगाकर पैसा स्वयं निकाल लिया

फर्जी बिलो से जीएसटी की बड़ी चोरी

जिम्मेदारों की भूमिका भी संदेह के घेरे में

झाबुआ-मेघनगर विकास खण्ड की ग्राम पंचायत मालखंडवी में हुई गंभीर अनियमितता के खुलासे के बाद कार्यवाही नही होना इस बात का अंदेशा व्यक्त कर रही है कि पूरे "कुँए में ही भाँग घुली हुई है"।मालखंडवी ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव ने अपने तथा परिवार के बिल लगाकर नियम विरुद्ध राशि निकाल ली।इसी कड़ी में इस पंचायत के जिम्मेदारों का एक और कारनामा सामने आया है।सरपंच और सचिव की "बंटी और बबली" की जोड़ी माल किसी व्यापारी की फर्म से ले लेते और बिल अपने लगाकर पैसा डकार जाते ऐसे में जिन व्यापारीयो ने इस पंचायत को माल दिया वह रो रहे और फर्जीवाड़ा कर अपनी फर्जी फर्मो के नाम से राशि निकालने वाले सरपंच सचिव पराये माल पर हाथ साफ कर मौज कर रहे है।फर्जी बिलो की जाँच होती है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा जिसमे लाखो की जीएसटी की चोरी सामने आयेगी।किन्तु "नक्कारखाने में तूती की आवाज नही सुनी जाती" यानी जिम्मेदार इस सबको जानकर भी अनभिज्ञ बने हुवे जनपद सीईओ और जिलापंचायत सीईओ किस कारण शासकीय राशि हड़पने वालो पर कार्यवाही नही कर रहे या धन की माया सबको अंधा कर देती है यह विचारणीय है किन्तु "नो की लकड़ी के नब्बे खर्च" करने वाले पंचायत के लुटेरे राजनीतिक संरक्षण के चलते "हवा के घोड़े पर सवार" है तो राजनीति अपना हिस्सा लेकर भ्रष्टो को पोषण दे रही है।जनपद सीईओ इस पर जाँच करने की बात करते है किन्तु जाँच की नही जाती तो जिला प्रशासन पंचायत का हिसाब जाँचने की बजाय कार्यवाही से बचता नजर आ रहा है।बहरहाल जो भी कमलनाथ सरकार का प्रशासन यहाँ पंगु बना हुआ है और भ्रष्ट मौज कर रहे है कांग्रेस का चुनाव के वक्त दिया नारा "वक्त है बदलाव का" क्या इन्ही जनता के हक पर डाका डालने  वाले  लुटेरो को संरक्षण देने के लिए दिया गया प्रतित होता है।