पंचायत में हुई गम्भीर आर्थिक अनियमितता
समाचार में हुवे खुलासे के बाद भी कार्यवाही में हो रही आनाकानी
झाबुआ(भूपेश भानपुरिया)-"बाड़ ही जब खेत खाए तो रखवाली कौन करें" ऐसा ही नजारा मेघनगर विकास खण्ड की ग्राम पंचायत मालखंडवी में देखने को मिल रहा है यहाँ ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव की मिलीभगत विकास कार्यो के लिए प्राप्त शासकीय राशि की "बंदरबाट बन कर रह गयी" है।हमने पहले भी इस ग्राम पंचायत की हकीकत प्रकाशित की थी किन्तु जनपद से लगाकर जिला पंचायत के जिम्मेदारों को यह सब झाबुआ जिले में "आम बात" लगती है जिला पंचायत के जिम्मेदार कोई मामला प्रकाश में आने के बाद "बांछे खिला बैठते है" क्यों कि कोई "अमानत में खयानत"का मामला आया नही की जिम्मेदारों के मुँह में पानी आ ही जाता है।समाचार प्रकाशित होने के बाद सचिव भी कलमकार पर "आँख तरेर रहा"था तो सरपंच भांगजडियो को भेज रहा था।इस ग्राम पंचायत में निर्माण कार्यो निम्न गुणवत्ता जाँच का विषय तो है ही किन्तु सबसे बड़ी बात सरपंच सचिव ने अपने और अपने परिवार के लोगो के बिल नियम विरुद्ध लगाकर लाखो रु का आहरण कर लिया गया जो गंभीर आर्थिक अनियमितता की श्रेणी में आता है किन्तु इनके विरुद्ध सामने दिखाई दे रही आर्थिक गड़बड़ियां जिला प्रशासन के मुखिया देख नही पा रहे है।
-पंचायत राज अधिनियम अनुसार होना चाहिये कार्यवाही-
शासकीय राशि अपने तथा अपने रिश्तेदारों की फर्मो के नाम से निकाले गये इसमे निर्माण कार्य घटिया स्तर के किये गये जिससे ज्यादा से ज्यादा राशि को अपने खातों में डाला जा सके।पंचायत राज अधिनियम के तहत सरपंच पर धारा 40 के अंतर्गत कार्यवाही हो सकती है साथ ही सरपंच को छः वर्ष के लिये चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया सकता है साथ ही सचिव पर भी धारा 92 के अंतर्गत वसूली की जा सकती है साथ ही निलम्बन भी किया जा सकता है और यदि वित्तीय अनियमितता में मोबाइल एप्प का इस्तेमाल किया जाता है तो रोजगार सहायक पर भी कार्यवाही संभव है।
ऐसे में जिम्मेदार कैसे इस पंचायत के घटिया स्तर के निर्माण कार्यो एवं वित्तीय अनियमितता पर कार्यवाही करेगे देखना दिलचस्प होगा।
पंचायत में हुई गंभीर आर्थिक अनियमितता के बाद भी कार्रवाई नहीं जिम्मेदारों की अनदेखी से भ्रष्टाचार को मिल रहा बढ़ावा