आरटीओ हु तीन हजार थोड़ी लूँगा...
वाहन में वजन ज्यादा तो लिफाफे का वजन भी बड़ा कर दो
आरटीओ साहब वसूली कर जेब गरम करने में लगे
एक ही काम ओवरलोडिंग वाहन मिले तो भाव ताव करो और जाने दो
झाबुआ(भूपेश भानपुरिया)-झाबुआ आरटीओ का एक ही नारा एक ही काम राम नाम जपना पराया माल अपना अपने अधिकारों का उपयोग जनहित में नही करते हुवे स्वहित में कैसे किया जा सकता है इसका सबसे ताजा उदाहरण है झाबुआ आरटीओ।मेघनगर में खुलेआम लोहे की कॉइल्स को क्षमता से अधिक भरकर परिवहन किया जा रहा है। जिला परिवहन विभाग के मुखिया से इस सम्बन्ध में निरन्तर ध्यान दिलाने के बाद भी आरटीओ कुम्भकर्ण की तरह चिर निंद्रा में सोये हुवे है समाचारों के माध्यम से कलमकार इन्हे जगाने की कोशिश कर रहे है मगर यह सब "अँधे के आगे रोने" जैसा ही साबित हो रहा है।अभी आरटीओ जिले में ओपचारिकता निभाती कार्यवाही कर अपने विभाग से फोटो समाचार पत्रो को भेज कर वाहवाही करवाने की कोशिश करते दिखाई दे रहा है।वही आरटीओ कार्यवाही करने पिछले दिनों मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र से गुजरे जहाँ एक क्षमता से अधिक मालभर कर खड़े ट्रक को देखकर रुके और उस पर कार्यवाही करने की बात की जब ट्रक मालिक ने ले देकर मामला निपटाने की गुजारिश की और तीन हजार का ऑफर किया तो सुना है आरटीओ साहब उखड़ गये और कहने लगे आरटीओ हु जरा सोच कर बात करो इस पर वाहन मालिक ने जब वाहन के वजन के हिसाब से लिफाफे का वजन बढ़ाया तो आरटीओ साहब ने फिर अपनी ड्यूटी का सही दाम वसूलते हुवे वाहन को बिना अगर मगर करते हुवे कार्यवाही किये बिना छोड़ दिया।अब समझना आसान है कि प्रतिदिन मेघनगर से ओवरलोड लोहे की कॉइल्स आरटीओ को क्यों दिखाई नही दे रही।किस तरह कॉइल्स परिवहन ठेकेदार और आरटीओ एक ही थाली के चट्टे बट्टे बने बैठे है यह स्पष्ट है कि ओवरलोड परिवहन की छूट के पीछे लिफाफे का वजन कितना भारी है जो कानूनी कार्यवाही करने से आरटीओ को रोक रहा है।ओवरलोड कॉइल्स की और ध्यान दिखाना "अरण्यरोदन सिद्ध होना" ही दिखाई दे रहा है।बहरहाल काँग्रेस सरकार के यह सरकारी नुमाइन्दे अपने विभाग की "आबरू पर बट्टा "जम कर लगा रहे है और उसके बदले जम कर लक्ष्मी जी प्रसन्न कर रहे है।
आरटीओ हु तीन हजार थोड़ी ही लूंगा, वाहन में वजन ज्यादा तो लिफाफे का वजन भी बढ़ाओ और धड़ल्ले से करो ओवरलोड