समग्र शिक्षा अभियान के तहत जिले के प्रत्येक कस्तुरबा बालिका छात्रावास में बालिकाओ की सुविधा के लिए नये पलंगों की खरीदी की गई। जिसके सत्यापन के लिए कलेक्टर प्रबल सिपाहा ने एक टीम बनाई जो कि हॉस्टल में खरीदे गये पलंगो का सत्यापन करना था। टीम में स्वयं डीपीसी, जिस अनुभाग में हॉस्टल है वहां के एसडीएम, दो हॉस्टल वार्डन और पालक संघ की समिति की अध्यक्ष या मेमबर को रखा।
अब इस टीम ने प्रत्येक हॉस्टल में जाकर जेएम पोर्टल से खरीदे हुए एक-एक पलंग का भौतिक सत्यापन किया। मगर जिले के बहुत से हॉस्टल ऐसे है जहां पर कई सारे पलंग टुटे हुए पाये गये। जिसका का भी भौतिक सत्यापन करते हुए कलेक्टर टीम ने वेरिफाईड किया।
कायदे की बात तो यह है कि, टूटे पलंग लेना नहीं है, और टूटे हुए पलंगो की रिपेयरिंग होना नहीं है, लेकिन विभाग प्रमुख के रौब से जो नहीं होना है वह हो रहा है, क्योंकि, बंगले की सेवा भी करनी है और साहब को सलाम भी ठोकना है।मामले में डीपीसी प्रजापती ने बताया कि ऐसा नहीं है कि कहीं पर टूटे हुए पलंग आये है, सत्यापन करने वाली टीम के सभी सदस्यो के हस्ताक्षर है जो झुठे नहीं हो सकते है, और कहीं दो-चार टूटे पलंग आ भी गये तो वे वापस हो जायेगे।दबी जुबां से कहने वाले ने बताया कि, शतरंज की बिसात पर सारी मोहरे एक ही आदमी ने बिछाई है, जिसने रौबदारी करते हुए अहम में कलेक्टर पर भी अपना हक़ बताया है। खरीदे गये नये टूटे पलंग के दर्द के साथ वह भी बताया जिसे बताया नहीं जाना चाहिये था... जैसे कि रिश्वत के साथ रिश्ते बना कर विनम्र भाव से कार्य पूर्ण कर लिया जाता है।कलेक्टर की भौतिक सत्यापन की टीम द्वारा किया गया सत्यापन समझ से परे इसलिये है क्योंकि टूटे हुए पलंग अभी भी हॉस्टल में है।