गोविंद दादा की दादागीरी

गोविन्द की दादा गिरी रामसिंह को नहीँ लेने दें रहा चार्ज 


कल्याणपुरा ओमप्रकाश राठौर 



और गोविन्द क्यों नही जाना चाहते…..एक समझाता है अपने को डाॅक्टर तो दुसरा बन बैठा स्टोरकिपर… आखिर क्यों उडाई जा रही है आदेशों की धज्जियां
नियमों की धज्जियां उडाना तो कई स्वास्थ्य विभाग से सीखे जहां प्रभारी मंत्री और कलेक्टर के आदेश भी इनके सामने बोने साबित हो रहे है। यहां मंत्रीजी और कलेक्टर नही गांधीछाप चलते है। जिनके सामने कोई कुछ भी नही। गांधीछाप है तो सब है नही है तो कुछ भी नही। तभी तो बीएमओ साहब गोविन्द पर बहुत मेहरबान है।


दोनों नही करते मुलकार्य
कल्याणपुरा प्राथमीक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ गोविन्द डेªसर के पद पर पदस्थ है मगर अपने कर्तव्य का निर्वहन न करते हुए अपने को डाॅक्टर से भी उपर समझता है। फिर भी बीएमओ साहब गोविन्द पर इतने मेहरबार है कि अटैचमेंट तोडने के बाद भी गोविंद को छोडना नही चाहते है। तभी तो आज भी गोविन्द हाजरी रजिस्टर में अपनी उपस्थिती दर्ज करवा रहा है। जबकि उसे अपनी मुल पदस्थापना झकनावदा अटैचमंेट तोडने के बाद नही पहुंचे। ऐसा ही कुछ मामला रामसिंह का है जो डेªसर के पद पर कार्यरत है जिसकी मुल पदस्थापना कल्याणपुरा है मगर सीएमएचओ की मेहरबानी के चलते अटैचमंेट तोडने के बाद भी झाबुआ में स्टोर किपर का कार्य कर रहा है।


नियमों की उडाई का रही है धज्जियां 
अटैचमंेट तोडने के बाद भी और बीएमओ साहब गोविन्द पर इतने मेहरबान है की नियमों की धज्जियां उडाने में कोई कसर नही छोड रहे है। प्रभारी मंत्री और कलेक्टर के आदेश भी इनके सामने कुछ नही है। ऐसे ही नियमों की धज्जियां उडती रही तो प्रभारी मंत्री और कलेक्टर के आदेशों की क्या आवश्यकता। ऐसा लगता है स्वास्थ्य विभाग पर किसी ओर जगह का प्रशासन दिशा निर्देशित करता है।