झाबुआ जिले के आदिवासियों में 8 लेन को लेकर आक्रोश
भारत माला प्रोजेक्ट के अंतर्गत बन रहे दिल्ली मुम्बई 8 लेन पर नियमानुसार नही दिया जा रहा मुआवजा
आदिवासियों ने ठेकेदार और सरकार पर लगाया जबरजस्ती बेदखल करने का आरोप
झाबुआ(भूपेश भानपुरिया)-केन्द्र सरकार की महत्वांकाक्षी भारत माला परियोजना के अंतर्गत बन रहे 8 लेन रोड में अधिग्रहित जमीन के मुआवजे में हो रही गड़बड़ी को लेकर झाबुआ जिले के आदिवासीयो में आक्रोश है।झाबुआ जिले के आदिवासियों का सीधा आरोप है कि मध्यप्रदेश सरकार के जिन कर्मचारियों ने इस ऐट लेन की जमीनों को लेकर जिस तरह से सर्वे किया है उसमें कई त्रुटियां है।पीढ़ी दर पीढ़ी जिस जगह पर आदिवासी खेती कर रहे है या फिर रह रहे है उस जगह को सरकारी बताकर उन्हे बेदखल करने का काम किया जा रहा है।गौरतलब है कि झाबुआ जिले के मेघनगर और थांदला तहसील के लगभग 21गाँव और लगभग 50 किलोमीटर क्षेत्र की भूमि सीधे सीधे इससे प्रभावित हो रही है।भामल, दौलतपुरा, चोखवाड़ा, ढेबर, तलाई,आमली,हेड़ावा, कलदेला,खांदन,कुकड़ीपाड़ा,मियाटी,मोरझरी,मुंजाल,नवापाड़ा,नोगाँवा नगला,नोगाँवा सोमला,रननि,रूपगढ़,तलावड़ा,टिमरवानी और उदयपुरिया गाँवो के लोग इससे प्रभावित हो रहे है।ऐसे में ग्रामीणो का आरोप है की ऐट लेन रोड बनाने का काम जिस कम्पनी को मिला है।वह उन्हे जबरजस्ती धमका कर उनके गांव से जाने के लिये कह रहे है।मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सर्वे की जमीन में विसंगति का आलम यह है कि इन गाँवो की सिंचित जमीन को पटवारियों ने सर्वे में असिंचित बता दिया है।इसमे दिलचस्प बात यह भी है कई बड़े तालाबो के पास की खेती की जमीन भी यहाँ असिंचित बता दी गयी।सिंचित और असिंचित जमीन पर मुआवजे के मिलने वाली राशि मे बड़ा अंतर है ऐसे में सिंचित जमीन को असिंचित बता कर जो जमीन अधिग्रहण की जा रही है उससे ग्रामीण ठगा सा महसूस कर रहे है।ग्रामीणों को मिलने वाले मुआवजे को त्रुटिपूर्ण बताकर इनकी आवाज मुखर कर रहे संजय भाबर बताते है कि ऐट लेन में किसानों को पर्याप्त मुआवजा नही मिल पा रहा है।किसानों के खेतो में जो वृक्ष लगे है उनका भी मुआवजा मिलना है,घरों का मुआवजा मिलना है किन्तु ग्रामीणो के घरों का भी मुआवजा बहुत ही कम दिया जा रहा है।यहाँ शासकीय नुमाइंदों के कागजो की जादूगरी ऐसी है कि वर्षो से काबिज आदिवासियों की जमीन को शासकीय बता कर उन्हे जमीन खाली करने के नोटिस दिए गए है।जिस जमीन पर ग्रामीण खेती कर रहे है उनकी खड़ी फसलो को नष्ट करने की धमकी दी जा रही है।झाबुआ जिले से ऐट लेन गुजरना विकास के नए आयाम लिखेगा किन्तु ग्रामीण आदिवासियों को कम मुआवजा,गलत सर्वे और वर्षो से काबिज ग्रामीणो को अपनी जमीन से बेदखली इन ग्रामीणो को बर्बादी की ओर धकेलने से ज्यादा कुछ नही।ऐसे में राज्य और केन्द्र सरकार को चाहिए कि फिर से सर्वे करवाकर झाबुआ जिले के आदिवासियों के साथ न्याय किया जाकर इसमे आ रही विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिये।जिससे ऐट लेन रोड के साथ आदिवासियों के चेहरे की चमक भी बनी रहे।
झाबुआ जिले के आदिवासियों में 8 लेन को लेकर आक्रोश सर्वे में गड़बड़ी और मुआवजा कम देने का आरोप