मीडिया पर अघोषित आपातकाल लगाती कमलनाथ सरकार
हनीट्रैप मामले में खुलासे से बौखलाई सरकार का अंधेरे में मीडिया पर हमला
झाबुआ से भूपेश भानपुरिया-
हनी ट्रैप मामले में रोज नये नये खुलासे कर सांझा लोकस्वामी के सम्पादक जितेंद्र सोनी के प्रेस,ऑफिस और अन्य प्रतिष्ठानों में अँधेरे में एकाएक पुलिस,खाद्य विभाग, विद्युत विभाग और निगम की संयुक्त छापेमार कार्यवाही से मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार और उसके नोकरशाहो का डर सामने दिखाई दे रहा है।हनी ट्रैप मामले में एक के एक बाद हो रहे खुलासे से यह तो साफ है कि इस हाईप्रोफाइल मामले में भाजपा और कांग्रेस की बड़ी मछलियां इसमे फसी हुई है इसके साथ ही प्रदेश के कई बड़े नोकरशाह इसकी जद में है।हनी ट्रैप मामले के खुलासे के साथ ही यह तो तय हो चुका था कि पूर्व सरकार के पूर्व मंत्री और वर्तमान सरकार के कई दिग्गज नाम इसमे शामिल है। जिससे घबराई सरकार ने पहले तो कई बार इस मामले की जाँच कर रही एसआईटी प्रमुख बदले फिर जाँच को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया।अपने एक साल की उपलब्धि गिनवा रही कमलनाथ सरकार का मीडिया हाउस पर इस तरह अँधेरी रात में हमला मीडिया पर अघोषित आपातकाल है।क्या हनी ट्रैप मामला सरकार की गले की फांस बन गया है?यह सवाल इस समय इसलिये भी प्रासंगिक हो गया है कि सरकार अपने खिलाफ कुछ सुनना और देखना नही चाहती।हनी ट्रैप मामले में असहिष्णु हुई सरकार का रात मे मीडिया पर यह हमला दरअसल सांझा लोकस्वामी के सम्पादक जीतू सोनी पर हमला मात्र नही है यह हमला समूचे प्रेस जगत को डराने का कमलनाथ सरकार का सीधा संदेश है कि जो व्यक्ति या समूह सरकार को सच का आइना दिखाने की कोशिश करेगा या कहे सरकार के विरुद्ध लिखेगा उसको यह लूली लँगड़ी कमलनाथ सरकार छोड़ेगी नही।सरकार और सरकार के बड़े नोकरशाहो का हनी ट्रैप में इतना घबराना यह साफ दिखाई देता है कि वचन की पक्की दिखाने की कोशिश कर रही कमलनाथ सरकार अपने चेहरे पर कालिख को छुपाने बचाने के लिए प्रेस की आजादी पर हमलावर है।पहले भी कई सरकारे प्रेस को बन्दी बनाने की नाकाम कोशिश कर चुकी है।आग से खेलने का सरकार का यह कदम सरकार के लिये कितना कारगर या फिर आत्मघाती होगा यह तो वक्त बतायेगा किन्तु सरकार का इस तरह से प्रेस की आजादी पर हमला करने की इस कोशिश को समूचा मीडिया जगत के साथ ही झाबुआ जिले की पत्रकार बिरादरी भी पुरजोर विरोध करती है।
अँधेरी रात में बौखलाई सरकार का प्रेस पर हमला कमलनाथ सरकार का प्रेस की आजादी पर अघोषित आपातकाल